(नारी/औरत/बेटी)

lyrics by: Nadir Hasnain
Written on Feb 19, 2013

रीत है कैसी प्रीत है कैसी कैसी सोच हमारी
गुमसुम गुमसुम डरी डरी सी खौफ़्शदह है नारी
गली मोहल्ला घर दरवाज़ा गाँव शहर में लोगो
फैल रही है माँ बहनों में दहशत की बीमारी

भारत माँ की ममता को करदेता है शरमिंदा
दुष्कर्मी है पापी है वोह एक हैवान दरिंदा
सजा मिले वोह ज़ानी को जो मौत भी थर्रा जाये
देश की जनता मांग रही है ऐसी ही तैयारी

एक परिंदे की चाहत है छूले वोह आकाश गगन
जहाँ न कोई बंदिश होगी ना सरहद ना कोई वतन
अपने इस अरमान को पंछी कैसे करेगा पूरा
रास्ता बैठा देखरहा है शातिर एक शिकारी

सति बनी फिर सावित्री और माँ का फ़र्ज़ निभाया
सास बहु और दादी नानी हर अवतार में पाया
खिलता फूल चमन का है ये इसपर आंच ना आये
सदके इसके जान लुटा दूँ जाऊं वारी वारी 
                               नादिर हसनैन (नादिर)

 

Tags: love, faith, inspirational, scary, pain,

 

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